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Latest News:

उपन्यास भूभल से अंश मीनाक्षी स्वामी 7 Jan 2013 | 08:53 am

(मेरा उपन्यास ‘भूभल’ वर्ष 2011 में सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित हुआ। आज दिल्ली गेंग रेप की घटना में जन जागरण का कानून निर्माताओं पर दबाव बन रहा है, ठीक इसी प्रकार के जन आंदोलन द्वारा कानून निर्माताओं पर...

ठीक अभी इसी वक्त - मीनाक्षी स्वामी 21 Jun 2012 | 05:13 am

मैं नहीं जानती कि अभी इसी वक्त जबकि मैं बैठी हूं अपनी बालकनी में ठंडी गुनगुनी सुबह में गरम-गरम चाय के प्याले के साथ सामने के...

जाते हुए वर्ष की पदचाप--- मीनाक्षी स्वामी 31 Dec 2011 | 09:11 am

आज सोच रही हूं कि जाते हुए साल में क्या हुआ तो एक किताब का लोकार्पण... कुछ कहानियां प्रकाशित, अप्रकाशित...। खास एक उपन्यास...एक ब्लाग...ग्यारह पोस्ट...कई टिप्पणियां...एक फेसबुक...कुछ मित्र....।  बीते...

सम्मान समारोह ---मीनाक्षी स्वामी 22 Dec 2011 | 11:01 am

                 अखिल भारतीय विद्वत् परिषद, वाराणसी द्वारा वाराणसी में पिछले दिनों भव्य आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि थे पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री श्री आरिफ मोहम्मद खान। अति विशिष्ट अतिथि संविधान विशेषज...

"भूभल"---मीनाक्षी स्वामी 7 Oct 2011 | 07:30 am

"भूभल" उपन्यास से कथा अंश ----मीनाक्षी स्वामी मित्रों, आप सभी को यह जानकर खुशी होगी कि मध्यप्रदेश साहित्य परिषद ने इस उपन्यास को पाठक मंच के लिये चुना तो जून जुलाई में प्रदेश भर में चर्चा, प्रशंसा हु...

स्वतंत्रता दिवस और राष्ट्रीय एकता --- मीनाक्षी स्वामी 15 Aug 2011 | 09:25 am

स्वतंत्रता दिवस और राष्ट्रीय एकता आलेख आजादी पाकर चौंसठ वर्ष हो गए। हमारे पास, आजादी को पाने का राष्ट्रीय आंदोलन का गौरवशाली इतिहास है। मगर इसे अंगूठा दिखाता हमारा वर्तमान हमारी एकता पर बहुत बड़ा प्रश...

अखबारों का सच --- मीनाक्षी स्वामी 19 May 2011 | 07:27 am

v[kckjksa dk lp अखबारों में घोषणा होती है कल बारिष हो सकती है और जनता सम्हाल लेती है भारी भरकम रेनकोट और छतरियां सारे के सारे कागज पोलेथिन संस्कृति में और तैयार हो जाती है बारिष से जूझने को अखबार लिख...

बेटियां 30 Mar 2011 | 08:44 pm

श्रीमती रश्मि दीक्षित, होशंगाबाद की यह कविता हाल ही में मैनें पढ़ी । मुझे अच्छी लगी, आप सबको भी अच्छी लगेगी बोए जाते हैं बेटे उग जाती हैं बेटियां, खाद पानी बेटों में पर लहलहाती हैं बेटियां । एवरेस्ट ...

लड़कियां --- मीनाक्षी स्वामी 8 Mar 2011 | 05:23 pm

सभी को महिला दिवस की अनंत शुभकामनाएं । आने वाले समय में सार्थक बदलाव की कामना के साथ प्रस्तुत है ये कविता लड़कियां लड़कियां, पंजों के बल उंची खड़ी होकर अमरूद तोड़ लेती हैं । और कुछ अमरूद...

लड़की की मुट्ठी में --- मीनाक्षी स्वामी 6 Feb 2011 | 11:02 pm

लड़की की मुट्ठी में लड़की नहीं जानती लड़की की ताकत लड़की है नदी, लड़की है झरना, लड़की है पहाड़, लड़की है पेड़, पेड़ की डाल है लड़की पेड़ से कटकर भी जलती है, लड़की अलाव की आग बनकर...

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