Blogspot - mithileshdubey.blogspot.com - दुबे का बेबाक-अंदाज
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वह सांवली सी लड़की---मिथिलेश 23 Mar 2012 | 05:05 am
तन पर लपेटे फटे व पुराने कपड़े वह सांवली सी लड़की, कर रही थी कोशिश शायद ढक पाये तन को अपने, हर बार ही होती शिकार वह असफलता और हीनता का समाज की क्रूर व निर्दयी निगाहें घूर रहीं थी उसके खुलें त...
वह सांवली सी लड़की---मिथिलेश 23 Mar 2012 | 01:05 am
तन पर लपेटे फटे व पुराने कपड़े वह सांवली सी लड़की, कर रही थी कोशिश शायद ढक पाये तन को अपने, हर बार ही होती शिकार वह असफलता और हीनता का समाज की क्रूर व निर्दयी निगाहें घूर रहीं थी उसके खुलें त...
पर्दा प्रथा: विडंबना या कुछ और---------मिथिलेश दुबे 22 Jul 2011 | 02:33 am
अपने देश में महिलाओं को (खासकर उत्तर भारत में ज्यादा) पर्दे में रखने का रिवाज है । इसके पीछे का कारण शायद ही कोई स्पष्ट कर पाये फिर भी ये सवाल तो कौंधता ही है कि आखिर क्यों ? मनुष्यों में समान होने के...
पर्दा प्रथा: विडंबना या कुछ और---------मिथिलेश दुबे 21 Jul 2011 | 10:33 pm
अपने देश में महिलाओं को (खासकर उत्तर भारत में ज्यादा) पर्दे में रखने का रिवाज है । इसके पीछे का कारण शायद ही कोई स्पष्ट कर पाये फिर भी ये सवाल तो कौंधता ही है कि आखिर क्यों ? मनुष्यों में समान होने के...
बच्चे की मदर----- मिथिलेश 22 Apr 2011 | 04:44 am
कई दिनों से घर जाने की तैयारी चल रही थी और अब तो होली बस दो ही दिन दूर था। हमेशा की तरह इस बार भी घर जाने को लेकर मन बहुत ही उत्साहित था । भले ही अब घर जाने के बीच का अंतराल कम हो गया हो लेकिन घर पर ए...
बच्चे की मदर----- मिथिलेश 22 Apr 2011 | 12:44 am
कई दिनों से घर जाने की तैयारी चल रही थी और अब तो होली बस दो ही दिन दूर था। हमेशा की तरह इस बार भी घर जाने को लेकर मन बहुत ही उत्साहित था । भले ही अब घर जाने के बीच का अंतराल कम हो गया हो लेकिन घर पर ए...
कचरा तो साफ हो गया----------- मिथिलेश 7 Apr 2011 | 04:26 am
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अमूमन सारी सुविधाओं के मुकम्मल होने की बात एक आम आदमी सोचता होगा। सोचे भी क्यों नहीं, उसे क्या पता कि हर डाल पर उल्लू बैठे हैं। यदि आप कभी लखनऊ आए हैं तो विधानसभा जरूर देखे ...
कचरा तो साफ हो गया----------- मिथिलेश 7 Apr 2011 | 12:26 am
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अमूमन सारी सुविधाओं के मुकम्मल होने की बात एक आम आदमी सोचता होगा। सोचे भी क्यों नहीं, उसे क्या पता कि हर डाल पर उल्लू बैठे हैं। यदि आप कभी लखनऊ आए हैं तो विधानसभा जरूर देखे ...
क्या सच में तुम हो?????....मिथिलेश 1 Mar 2011 | 04:30 am
देखता लोगों को करते हुए अर्पित फूल और माला दूध और मेवा और न जाने क्या-क्या हाँ तब जगती है एक उम्मीद कि शायद तुम हो पर जैसे ही लांघता हूँ चौखट तुम्हारा तार-तार हो जाता है विश्वास मेरा टूट जाता...
क्या सच में तुम हो?????....मिथिलेश 28 Feb 2011 | 11:30 pm
देखता लोगों को करते हुए अर्पित फूल और माला दूध और मेवा और न जाने क्या-क्या हाँ तब जगती है एक उम्मीद कि शायद तुम हो पर जैसे ही लांघता हूँ चौखट तुम्हारा तार-तार हो जाता है विश्वास मेरा टूट जाता...