Blogspot - nayabasera.blogspot.com - खामोश दिल की सुगबुगाहट...

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छोटी-छोटी चिप्पियाँ... 23 Aug 2013 | 11:30 am

उस लम्हें में, रात का स्याह रंग बदल रहा था तुम्हें याद तो होगा न चांदनी मेरा हाथ थामे सो रही थी गहरी नींद में, और रौशन कर रही थी मेरे दिल का हर एक कोना... ********** वो दिन भी याद है मुझे, जब कभी...

कुछ सिलवटें खुली हैं ज़िन्दगी की... 19 Aug 2013 | 12:00 pm

ये दुनिया फरेबी है बहुत और हम हर किसी पर ऐतबार करते जाते हैं... कोई कल कह रहा था एक नीले रेगिस्तान से बारिश की बूँदें टपकती हैं,  आखें बंद करके महसूस करने की कोशिश की तो ऐसा बवंडर आया जो मेरे कई सपनों...

वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी... 16 Aug 2013 | 03:39 pm

हर एक की ज़िन्दगी में पचीसियों अतीत के पन्ने होते हैं, लेकिन जैसी सुगमता बचपन के पन्ने वाली लिखावट में होती है, वैसी तो कहीं नहीं... वो नादान सी साफगोई, अपने उस कोमल, सौम्य वजूद को बचा के रहने की जद्दो...

आपका शुक्रिया... 14 Aug 2013 | 02:09 pm

अक्सर लोग ऐसी पोस्ट्स तब लिखते हैं जब या तो उनके ब्लॉग की सालगिरह हो या फिर पोस्ट्स की संख्या सैकड़े के गुणनफल को छू रही हों... ऐसे अनदिने पोटली कौन खोलता है भला... लेकिन कई दिनों से सोचते सोचते आखिर आ...

अनटायटिल्ड ड्राफ्ट्स... 6 Aug 2013 | 03:45 pm

कोई शहर बदलता नहीं बस उसे देखने का नजरिया बदलता जाता है, पिछले दिनों जब अपने शहर कटिहार में था तो कई सालों बाद उस शहर को उसी मासूम नज़रों से देखा... कहते हैं न आप किसी शहर के नहीं होते वो शहर आपका हो ज...

P.S.:- सावधान, ये कोई सेंटी पोस्ट नहीं है... 14 Jul 2013 | 09:28 pm

काफी अरसा हो गया यहाँ कोई हलचल मचाये हुए...एक दिन की ही पोस्ट में सभी बातें और परेशानियों का चिट्ठा खोलना तो सम्भव नहीं है लेकिन फिर भी लिखने की स्वाभाविकता को बरकरार रखने के लिए यहाँ और एक पन्ना रद्द...

शौर्य क्या है ??? 24 May 2013 | 10:33 am

शौर्य क्या है? थरथराती इस धरती को रौंदती फ़ौजियों की एक पलटन का शोर, या सहमे से आसमान को चीरता हुआ बंदूकों की सलामी का शोर। शौर्य क्या है? हरी वर्दी पर चमकते हुए चंद पीतल के सितारे, या सरहद का ना...

मेरी आवाज़ ही मेरी पहचान है, ग़र याद रहे... 17 May 2013 | 04:35 pm

         कभी-कभी ज़िन्दगी में कुछ बुरा होना ब्लेसिंग इन डिसगाईज हो जाता है.. अब देखिये न पिछले दो महीने से लैपटॉप ख़राब पड़ा है इन दिनों कुछ भी नहीं लिख सका, कुछ लिखा भी तो डायरी के पन्नों तक ही रहा.. फि...

मुझे रावण जैसा भाई चाहिए ... 18 Apr 2013 | 02:01 pm

फेसबुक आदि पर ये कविता पिछले कई दिनों लगातार शेयर होती रही है, लेकिन इसे लिखनेवाले की कोई पुख्ता पहचान नहीं मिली हालांकि सुधा शुक्ला जी ने ये कविता १९९८ में लिखी थी ऐसा कई जगह उन्होंने कहा है... खैर, ...

ये तो बस एक साल गुज़रा है, सारे जनम तो बाकी हैं अभी... 15 Apr 2013 | 03:33 pm

एक साल !!! क्या बस सिर्फ एक साल ... ऐसा लगता है जैसे मैं तुम्हे बरसों से जानता हूँ ,सदियों से ,जन्मों से ... फिर तो लगता है अभी तो बस एक साल बीता है ,न जाने कितने जन्म बाकी हैं अभी... कुछ चीजें अन एक...

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ह्त्या का आरोपी कुट्टू का आटा फरार, एमसीडी के टैक्‍स का गणित, चित्रकार और फ़िल्म आलोचक भी थे

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