Blogspot - ngoswami.blogspot.com - नीरज

Latest News:

हर तस्वीर अधूरी है 26 Aug 2013 | 09:35 am

 (पेशे खिदमत है ,छोटी बहर में एक निहायत सादा सी ग़ज़ल) ये कैसी मजबूरी है जो लोगों में दूरी है क्यूँ फिरता पगलाया सा तुझमें ही कस्तूरी है बात सुई से ना सुलझे तो तलवार जरूरी है तुम बिन मेरे...

किताबों की दुनिया - 85 12 Aug 2013 | 09:35 am

“किताबों की दुनिया” श्रृंखला के लिए शायरी की किताबें ढूंढते वक्त मुझे अहसास हुआ है के आजकल लोगों में किताबें छपवाने का शौक चर्राया हुआ है। दो मिसरों से रचित एक शेर में पूरी बात कह देने वाली ग़ज़ल जैसी...

खोलिए आँख तो सवेरा है 29 Jul 2013 | 09:35 am

बंद रखिए तो इक अँधेरा है खोलिए आँख तो सवेरा है सांप यादों के छोड़ देता है शाम का वक्त वो सँपेरा है फ़ासला इक बहुत जरूरी है यार के भेष में बघेरा है ताजपोशी उसी की होनी है मुल्क में जो बड़...

किताबों की दुनिया - 84 15 Jul 2013 | 11:22 am

आज की किताब का जिक्र करने से पहले चलिए थोड़ी सी अर्थ हीन भूमिका बाँधी जाय .अर्थ हीन इसलिए के इसके बिना भी किताब की बात की जा सकती है . हुआ यूँ की इस बार जयपुर प्रवास के दौरान वहां के दैनिक भास्कर अखबा...

अलग राहों में कितनी दिलकशी है 1 Jul 2013 | 09:35 am

ज़ेहन में आपके गर खलबली है बड़ी पुर-लुत्फ़ फिर ये ज़िन्दगी है पुर लुत्फ़ : आनंद दायक अजब ये दौर आया है कि जिसमें गलत कुछ भी नहीं,सब कुछ सही है मुसलसल तीरगी में जी रहे हैं ये कैसी रौशनी हमक...

किताबों की दुनिया - 83 17 Jun 2013 | 09:35 am

("इस ब्लॉग से आप सब के प्यार का नतीजा है ये 301 वीं पोस्ट" ) ********* जागती आँखों ही से सोती रहती हूँ मैं पलकों में ख़्वाब पिरोती रहती हूँ तेजाबी बारिश के नक्श नहीं मिटते मैं अश्कों से आँगन धोती...

नीम के ये पेड़ 3 Jun 2013 | 09:35 am

हो खफा हमसे वो रोते जा रहे हैं और हम रुमाल होते जा रहे हैं नीम के ये पेड़ इक दिन आम देंगे सोच कर रिश्तों को ढोते जा रहे हैं पत्थरों से दोस्ती कर ली है जब से आईने पहचान खोते जा रहे हैं कब तलक दें...

किताबों की दुनिया - 82 20 May 2013 | 09:35 am

कहती है ज़िन्दगी कि मुझे अम्न चाहिए ओ' वक्त कह रहा है मुझे इन्कलाब दो इस युग में दोस्ती की, मुहब्बत की आरज़ू जैसे कोई बबूल से मांगे गुलाब दो जो मानते हैं आज की ग़ज़लों को बेअसर पढने के वास्ते उन्...

पीसते हैं चलो ताश की गड्डियां 6 May 2013 | 09:35 am

चाय की जब तेरे साथ लीं चुस्कियां ग़म हवा हो गए छा गयीं मस्तियाँ दौड़ती ज़िन्दगी को जरा रोक कर पीसते हैं चलो ताश की गड्डियां जब तलक झांकती आंख पीछे न हो क्या फरक बंद हैं या खुली खिडकियां जान ले ल...

किताबों की दुनिया - 81 22 Apr 2013 | 09:35 am

आप में से बहुत से दिल्ली तो जरूर गए होंगे लेकिन शायद कुछ लोग ही महरौली गए हों, महरौली जो क़ुतुब मीनार के पीछे है और जहाँ की भूल भुलैय्याँ , जो अब सरकार द्वारा बंद कर दी गयीं हैं, बहुत प्रसिद्द हैं, सु...

Related Keywords:

पोसिटिव, मेरा दिल, भारत का एक स्टेशन जहाँ रेल गाड़ी नही रूकती, मेरा जूता है जापानी, हिंदी शयरी, वशीर बद्र साहब, नाच ना आवे आँगन टेढ़ा, नाच ना आवे आँगन टेढ़ा कहानी, आदरणीय मनमोहन जी सत् श्री अकाल

Recently parsed news:

Recent searches: