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हादसे जो राह में मिलते रहे ... 20 Aug 2013 | 12:58 pm

फूल बन के उम्र भर खिलते रहे माँ की छाया में जो हम पलते रहे बुझ गई जो रौशनी घर की कभी हौंसले माँ के सदा जलते रहे यूं ही सीखोगे हुनर चलने का तुम बचपने में पांव जो छिलते रहे साथ में चलती रह...

यात्रा ... 13 Aug 2013 | 01:36 pm

गुस्सा तो है पर तू निष्ठुर नहीं ... अक्सर ऐसा तुम कहा करती थीं माँ पर पता नहीं कैसे एक ही दिन में इतना बदलाव आ गया तुम भी चलीं गयीं और मैंने भी जाने दिया कर दिया अग्नी के हवाले उस शरीर को ...

सपना माँ का ... 4 Aug 2013 | 12:01 pm

मैं देखता था सपने कुछ बनने के भाई भी देखता था कुछ ऐसे ही सपने बहन देखती थी कुछ सपने जो मैं नहीं जान सका पर माँ जरूर जानती थी उन्हें, बिना जाने ही सपने तो पिताजी भी देखते थे हमारे भविष्य के ...

वत्सल काया 24 Jul 2013 | 01:01 pm

पता होता है उन्हें की रौशनी का एक जलता चिराग जरूर होता है अंधेरे के उस छोर पे जहां बदलने लगती है जीवन की आशा, घोर निराशा में की मुश्किलों की आंच से जलने वाला चराग उस काया ने ही तो रक्खा होता...

माँ 17 Jul 2013 | 11:33 am

रात में दादी के पांव दबाती पिता के कमजोर कंधे मजबूती से थामे घर की चरमराती दिवार हाथों पे उठाए पैरों में चक्री लगाए हर शै में नज़र आती थी तो माँ पर फिर भी नहीं थी महीने की पहली तारीख ...

माँ का हिस्सा ... 11 Jul 2013 | 12:05 pm

मैं खाता था रोटी, माँ बनाती थी रोटी वो बनाती रही, मैं खाता रहा न मैं रुका, न वो उम्र भर रोटी बनाने के बावजूद उसके हाथों में दर्द नहीं हुआ सुबह से शाम तक इंसान बनाने की कोशिश में करत...

यादों की खिड़की जब अम्मा खोलती थी ... 3 Jul 2013 | 12:36 pm

अपने मन की बातें तब तब बोलती थी यादों की खिड़की जब अम्मा खोलती थी गीत पुरानी फिल्मों के जब गाती थी अल्हड बचपन में खुद को ले जाती थी कानों में जैसे शक्कर सा घोलती थी यादों की खिड़की ... ...

माँ - एक एहसास ... 26 Jun 2013 | 02:19 pm

उदासी जब कभी बाहों में मुझको घेरती है तू बन के राग खुशियों के सुरों को छेड़ती है तेरे एहसास को महसूस करता हूं हमेशा हवा बालों में मेरे उंगलियां जब फेरती है चहल कदमी सी होती है यकायक नींद में फ...

नाता ... 18 Jun 2013 | 11:32 am

अब्बू के तो पाँव है छूता, माँ से लाड लड़ाता है अपने-पन का ये कैसा फिर माँ बेटे का नाता है डरता है या कर ना पाता, अब्बू से मन की बातें आगे पीछे माँ से पर वो सारे किस्से गाता है हाथ नहीं हो अब्बू का...

पूछना ना क्या गलत है क्या सही है ... 11 Jun 2013 | 11:25 am

माँ मेरी ये बात मुझको कह गई है जो मिले वो हंस के लो मिलना वही है दर्द के उस छोर पे सुख भी मिलेगा रुक न जाना जिंदगी चलती रही है कोशिशें गर हों कहीं भागीरथी सी धार गंगा की वहां हो कर बही है चलते च...

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