Kahaani - kahaani.org - Munshi Premchand's Stories मुंशी प्रेमचन्द की रचनाएँ
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Contents 21 Jan 2012 | 02:34 pm
मुंशी प्रेमचन्द की इन अमोल कृतियों के संकलन पर आपका स्वागत है। अब यह साइट नए पते premchand.kahaani.org पर उपलब्ध है। हाल में किए गए परिवर्तन और आने वाले परिवर्तनों के विषय में जानने के लिए Updates to ...
कमला के नाम विरजन के पत्र 21 Jan 2012 | 02:30 pm
मझगाँव ‘प्रियतम, प्रेम पत्र आया। सिर पर चढ़ाकर नेत्रों से लगाया। ऐसे पत्र तुम न लिखा करो! हृदय विदीर्ण हो जाता है। मैं लिखूं तो असंगत नहीं। यहाँ चित्त अति व्याकुल हो रहा है। क्या सुनती थी और क्या देखत...
कमला के नाम विरजन के पत्र 20 Jan 2012 | 08:34 pm
Contents 4 Jan 2012 | 05:52 pm
प्रेम सूत्र 23 Jun 2011 | 01:21 pm
प्रेम सूत्र 23 Jun 2011 | 09:33 am
संसार में कुछ ऐसे मनुष्य भी होते हैं जिन्हें दूसरों के मुख से अपनी स्त्री की सौंदर्य-प्रशंसा सुनकर उतना ही आनन्द होता है जितनी अपनी कीर्ति की चर्चा सुनकर। पश्चिमी सभ्यता के प्रसार के साथ ऐसे प्राणियों...
अनुभव 21 Jun 2011 | 02:08 pm
अनुभव 21 Jun 2011 | 10:10 am
प्रियतम को एक वर्ष की सजा हो गयी। और अपराध केवल इतना था, कि तीन दिन पहले जेठ की तपती दोपहरी में उन्होंने राष्ट्र के कई सेवकों का शर्बत-पान से सत्कार किया था। मैं उस वक्त अदालत में खड़ी थी। कमरे के बाह...
शूद्रा 3 Jun 2011 | 10:35 am
मां और बेटी एक झोंपड़ी में गांव के उस सिरे पर रहती थीं। बेटी बाग से पत्तियां बटोर लाती, मां भाड़-झोंकती। यही उनकी जीविका थी। सेर-दो सेर अनाज मिल जाता था, खाकर पड़ रहती थीं। माता विधवा था, बेटी क्वांरी...