Wordpress - rrajivhind.wordpress.com - राजीव का हिंदी ब्लॉग
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Latest News:
Meri jeevan - Madhushala 15 Sep 2012 | 11:22 pm
Reblogged from Krazy Memoirs: मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवाला‘ किस पथ से जाऊँ? ‘ असमंजस में है वह भोलाभालाअलग- अलग पथ बतलाते सब, पर मैं यह बतलाता हूँ -‘ राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला ...
इंतज़ार 12 Aug 2012 | 02:04 am
रात की तन्हाई ये सूनापन तनहा अकेला तेरी ही यादों मे खोया हुआ ओ मेरी चाँद परी कैसी होगी तू क्या करती होगी | क्या ये सच है… तू मुझे सुन सकती है? तेरी ही आने का इंतज़ार है अब तो नया सवेरा नयी ज...
शुभकामनाएं 31 Oct 2011 | 06:42 am
आप सबों को हमारी और से दिवाली और छठ पर्व की ढेरों शुभकामनाएं Filed under: बिना श्रेणी
शुभकामनाएं 31 Oct 2011 | 02:42 am
आप सबों को हमारी और से दिवाली और छठ पर्व की ढेरों शुभकामनाएं Filed under: बिना श्रेणी
फुर्सत के दो पल 8 Oct 2011 | 06:50 am
लम्हा दर लम्हा चुराया हमने फुर्सत के वो चंद लम्हे एक मित्र के ब्लॉग से एक चित्र Filed under: कविता, चित्र
जवाब राजनेताओं को देना है (via Surenderachaturvedi’s Blog) 17 Apr 2011 | 08:41 am
बिलकुल सही कहा है आपने सुरेन्द्र जी | आम आदमी त्रस्त है दिनों दिन इन भ्रस्टाचार के बढ़ते कुप्रभाओं से | राजनेता बस चुप्पी साध इंतज़ार करते हैं की कब मुद्दा ठंढा होगा| माना किसी एक आदमी को हिम्मत नहीं ह...
जवाब राजनेताओं को देना है (via Surenderachaturvedi’s Blog) 17 Apr 2011 | 04:41 am
बिलकुल सही कहा है आपने सुरेन्द्र जी | आम आदमी त्रस्त है दिनों दिन इन भ्रस्टाचार के बढ़ते कुप्रभाओं से | राजनेता बस चुप्पी साध इंतज़ार करते हैं की कब मुद्दा ठंढा होगा| माना किसी एक आदमी को हिम्मत नहीं ह...
सौ चूहे खा बिल्ली हज को चली 9 Apr 2011 | 08:08 am
आज संपूर्ण भारत मे एक लहर सी उठी है…. आवाज़ है ये आवाम की घुश्खोरी और भ्रस्टाचार के खिलाफ| स्वयं सेवक श्री अन्ना हजारे ने दिखा दिया है आज के युग मे भी गांधीवाद कितना प्रासंगिक है | भारतीय सरकार जो ...
इम्तिहान 22 Feb 2011 | 05:15 am
अभी कुछ ही दिन पहले रमेश की नौकरी एक बड़े कंपनी मे लगी थी | उसके सपने साकार होने वाले थे.| जिंदगी की जद्दोजहद ने उससे उम्र से जल्दी बुध कर दिया था | पिता को गुजरे अरसा बीत गया था घर मे अकेली माँ और ए...
अतृप्त अकांछा 13 Feb 2011 | 03:34 am
Image via flickr काश दुष्टों की भीर में अपना भी कोई नायक होता, दुश्मनों में अपना भी कोई दोस्त होता| नक़ल करने वाले कुछ अक्ल रखते, भीर से कोई चेहरा अलग भी दिखता | जोश वाले होश न खोते, भीरु तलव...