Blogspot - mosamkaun.blogspot.com - मो सम कौन कुटिल खल कामी.. ?
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Latest News:
चाच्चा बैल....(दो) 25 Aug 2013 | 01:24 pm
भाग एक से आगे अंदर डाक्टर और उनकी टीम अपना काम कर रहे थे और बाहर खड़े हम एक दूसरे को दबी जबान में कोस रहे थे। 302 के संभावित आरोपियों में दो नाम थे, पहला उस दोस्त का जिसने टीए बिल पास करने में शर्त ...
चाच्चा बैल 21 Aug 2013 | 11:29 pm
बैंक की स्टाफ़-ट्रांसफ़र नीति के तहत उनका ट्रांसफ़र हमारी ब्रांच में हो गया था। पहली मुलाकात ट्रेन में ही हो गई लेकिन तब औपचारिक परिचय नहीं हुआ था। हुआ यूँ कि हम ताश खेल रहे थे, वो मेरे पास ही आकर बै...
येस मिनिस्टर 7 Aug 2013 | 12:01 am
एकदम सही कहा मंत्रीजी ने। गधे हैं जो रक्षामंत्री के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके व्यक्तव्य का विरोध कर रहे हैं। अब भला इन गधों से कोई पूछे कि जो जानकारी किसी मंत्री के पास हो सकती है, वो आम...
एरियर 19 Jul 2013 | 12:04 am
आप जानते ही होंगे कि बैंक वालों की वेतन वृद्धि हर पाँच साल के बाद होती है। वेतन वृद्धि की देय तारीख से लगभग दो-ढाई साल बीत चुके होते हैं, तब कहीं यूनियन और प्रबंधन किसी समझौते पर पहुँच पाते हैं। हम सब...
संवैधानिक चेतावनी 12 Jul 2013 | 12:53 am
कुछ दिन से दिल्ली मेट्रो एमएमएस कांड चर्चा में है। क्या हुआ, कब हुआ, कैसे हुआ, किसने क्या किया वगैरह-वगैरह। जाँच चलेगी, मुकदमा होगा, कार्यवाही होगी, कानून अपना काम करेगा। मानसिकता बदलने, वर्जनामुक्...
केदारनाथ 27 Jun 2013 | 10:56 pm
जून माह के मध्य में देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध उत्तरांचल में भारी बारिश, बादल फ़टने की प्राकृतिक घटनाओं के चलते हुई विभीषिका ने समस्त देश को हिलाकर रख दिया है। ऐसी आपदाओं के होने के कारणों पर, उनसे ब...
आप कितने बुद्धिमान हैं? 25 Jun 2013 | 09:08 pm
आपने भी जरूर बचपन में ये ट्राई किया होगा। दो लगभग एक जैसे चित्र बने रहते थे और उनमें कुछ अंतर होते थे। दिये गये समय में कौन कितने अंतर ढूँढ पाता है, उसी के आधार पर जीनियस, बुद्धिमान, सामान्य आदि श्रेण...
’आस्तिकों का प्याज़’ 23 May 2013 | 05:00 am
कल सुबह बैंक के लिये निकल रहा था, माताजी से बाय-बाय कहते ही सुनाई पड़ा, "आजकल लू बहुत चल रही है, जेब में एक छोटा सा प्याज रख ले।" आदत के हिसाब से मैंने नानुकर की तो समाचार सुन रहे पिताजी ने भी मेरे वि...
समय का चक्र 24 Apr 2013 | 08:07 pm
(कोणार्क सूर्य मंदिर का एक चित्र, गूगल से साभार) गाड़ी में उस दिन भाई साहब हमेशा की तरह बोल तो कम ही रहे थे लेकिन चेहरा कुछ ज्यादा ही उतरा हुआ था। मैंने पूछा तो कहने लगे, "अब आप लोगों के साथ शाम का ...
अपने पराये 16 Apr 2013 | 06:01 pm
वापिसी में जब कभी गाड़ी देर से आ रही होती तो हमारे एक साथी को चाय की तलब लग जाती थी। हम लोग प्लेटफ़ार्म पर ही स्थित टी-स्टाल पर चले जाते थे। छोटे शहरों में नौकरी करने का सुख भी अलग ही होता है, लोग आईड...