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फिर तेरी यादें आई..... 16 Aug 2013 | 06:30 am

फिर तेरी यादें आई ये मन तरसा है। इस भरी दोपहरी में सावन बरसा है। दिन का चैंन गया रातों की नींद गई, मोहब्बत लगती हमको अब कर्जा है। अब दिल के बदले दिल नही मिलता। किसी भी मौसम में गुल नही खिलता। वो ज....

तीन कवितायें 11 Jul 2013 | 07:30 am

 आदत आदत नही भूलने की भूलें सताती हैं कह्ते हैं ... वो भटके राही को राह दिखाती हैं रोज नये दुश्मन बन रहें हैं दोस्त. आदते क्या सौंगाते हमें दे के जाती हैं.... तन्हाई तन्हा चलना मुसीबत बन रहा है। बहा...

जब अपना कोई रूठ गया... 26 Jun 2013 | 10:21 am

बरसा बादल जग डूब गया, जब अपना कोई रूठ गया। निरव खग का सब कोलाहल, क्या पवन वेग से दोड़ेगी। क्या नदिया सरपट उछल उछल पर्वत की छाती फोड़ेगी। ये कैसा मन बोध मुझे मेरे सपनों को लूट गया। बरसा बादल जग ....

क्षणिकाएं 22 May 2013 | 07:00 am

मेरा सच मुझे ही मुँह चिढाता है जब उसे सुन कोई मेरा अपना ही दुखी हो जाता है। --------------------------------------- मैंने जो पाया उसमे  उन्हें साजिश लगती है। उसे पाने में मैंने क्या खोया वे जानना ...

क्षणिकाएं 22 May 2013 | 07:00 am

मेरा सच मुझे ही मुँह चिढाता है जब उसे सुन कोई मेरा अपना ही दुखी हो जाता है। --------------------------------------- मैंने जो पाया उसमे  उन्हें साजिश लगती है। उसे पाने में मैंने क्या खोया वे जानना नही...

यादों के लिए दिल बहुत छोटा है..... 22 Apr 2013 | 04:23 pm

यादों के लिए ये दिल  बहुत छोटा है। जब यादें सताती हैं ये बहुत रोता है। सोचता था किसी दिन  सब भूल जाऊँगा मालूम नही है मुझे , ये कैसे होता है। कह्ते हैं शराब ग़म भुलानें का जरिया है जब भी पी,ज्याद....

यादों के लिए दिल बहुत छोटा है..... 22 Apr 2013 | 04:23 pm

यादों के लिए ये दिल  बहुत छोटा है। जब यादें सताती हैं ये बहुत रोता है। सोचता था किसी दिन  सब भूल जाऊँगा मालूम नही है मुझे , ये कैसे होता है। कह्ते हैं शराब ग़म भुलानें का जरिया है जब भी पी,ज्यादा...

अपने ही जब गैर हुए.... 19 Mar 2013 | 03:30 am

अपने ही जब गैर हुए जाते हैं, दिले-दर्द बनकर ठहर जाते है। कभी आँख का आँसू कभी बादल-बिजली तन्हा स्याह रातें मे खौफ-जदा़ करते साये मेरी नींदें चुरा कर गुम हो जाते हैं। अपने ही जब गैर हुए जाते हैं,...

अपने ही जब गैर हुए.... 19 Mar 2013 | 03:30 am

अपने ही जब गैर हुए जाते हैं, दिले-दर्द बनकर ठहर जाते है। कभी आँख का आँसू कभी बादल-बिजली तन्हा स्याह रातें मे खौफ-जदा़ करते साये मेरी नींदें चुरा कर गुम हो जाते हैं। अपने ही जब गैर हुए जाते हैं, दिले-...

फिर कुंभकरण जागेगा..... 22 Feb 2013 | 11:42 am

फिर हुआ धमाका !! कहीं फटा बम्ब.. आम आदमी मरा.. वही मरता है.. कुंभकरण .... नींद से जागा । आतंकीयों की निंदा की.. उन्हें सख्ती के साथ निपटा जायेगा... रेड अलर्ट करेगें.....

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गजल, इंतजार, paramjitbali, कौन है वह, ‘हरियाणा की गूँज’

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