Blogspot - voi-2.blogspot.com - इश्क-प्रीत-लव
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तेरा नाम मुझसे यूं जुड़ा, जैसे मिलता कोई खिताब है....! 21 Aug 2013 | 02:08 am
छवि : सोनाक्षी सिन्हा / साभार : http://www.legendnews.in मैं जो इश्क़ वाली निगाह हूं तू जो हुस्न वाली कि़ताब है जिसे हर निगाह न सह सकी तू वो आफ़ताबी शबाब है..! मुझे ग़ौर से जो निहार ले, मेरा सारा ...
गिरीश बिल्लोरे की प्रस्तुति.... Dailymotion पर 21 Aug 2013 | 12:08 am
Girish GIRISH BILLORE MUKUL's videos on Dailymotion(function(){var d = document, L = d.getElementsByTagName('a'); l = L[L.length - 1], i = d.createElement('iframe');i.src = 'http://www.dailymotion.com...
ओ मेरी मुकम्मल नज़्म मैं हर रात खुद से निकलता हूं 14 Aug 2013 | 01:21 am
साभार :-तात्पर्य ब्लाग अपने टूटे हुए सपनो की चादर ओढी कलम की कन्दील अपने साथ लिए रात-बे-रात निकलता हूँ.... यूँ ही सूनी सड़कों पर ..!! सोचते होगे न ? किसकी तलाश है मुझको... मेरे मेहबूब वो तेरे सिवा को...
दिया देखा लगा मुझको तुम्हारा ही उजाला है . 21 Jul 2013 | 11:08 am
चित्र साभार : गूगल तस्सवुर में तुम्हारी सादगी का बोलबाला है भरी थाली रुके हाथ जिसमें बस इक निवाला है ! कभी दीवार पे तुम्हारा मुस्कुराता अक्स देखा है… जिधर भी देखता हूँ , बस तुम्हारा ही उजाला ह...
प्रेम की पहली उड़ान तुम तक मुझे बिना पैरों के ले आई..! 19 Jul 2013 | 11:43 am
कैप्शन जोड़ें प्रेम की पहली उड़ान तुम तक मुझे बिना पैरों के ले आई..! तुमने भी था स्वीकारा मेरा न्योता वही मदालस एहसासहोता है साथ तुम जो कभी कह न सकी हम जो कभी सुन न सके ! उसी प्रेमिल संवाद क...
कस्तूरी : इंदुपुरी गोस्वामी 26 May 2013 | 01:46 am
मेरी इंदुताई अदभुत कहानी है कस्तूरी इंदुताई के भावुक मानस से हम तक आई कहानी बहुत कुछ कहने सोचने पर मज़बूर करती है.. मंतो की कहानियों को पढ़ने के बाद ऐसा ही विचार मग्न हो जाता हूं.. ताई से बिना अनुमति...
तुझ से मिल कर चार दिन इक ख़्वाब में खोया रहा : अमिताभ मीत 27 Apr 2013 | 09:20 pm
अमिताभ मीत वैसे गर देखो, तो क्या है जो मुझे हासिल नहीं एक तेरे प्यार की दौलत फ़क़त हासिल नहीं आरज़ूओं का तलातुम दिल में है, पर है ख़बर चाहे जैसा हो, मेरा दिल प्यार के क़ाबिल नहीं कुछ नहीं बस में मे...
Test Post 23 Apr 2013 | 09:24 am
Namskar This is first post. .. By cell phone
जबलपुर के काफ़ी-घर बदल गये हैं 29 Mar 2013 | 09:45 pm
अब नहीं लिखी जातीं यहां बदलाव की तहरीरें.. पेंच लड़ाती कमसिन जोड़ियां आतीं हैं जातीं हैं.. मर्दाने-जनाने परफ़्यूम की खुशबू छोड़ जातीं हैं.. सुबह दोपहर शाम बस एक ही तरह के लोग आते हैं.. उनके आने जाने ...
कनिष्क कश्यप की कविता : रंज और दर्द की बस्ती का मैं बाशिन्दा हूँ 16 Mar 2013 | 03:09 am
Kanishka Kashyap प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगीमेरे हालत की आंधी में बिखर जओगीप्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगीरंज और दर्द की बस्ती का मैं बाशिन्दा हूँये तो बस मैं हूँ के इस हाल में भी...